मैनहर्ट घोटाले में लगे रघुबर दास पर गंभीर आरोप |
Ranchi - झारखण्ड की राजधानी रांची और यहाँ के सियासी दांवपेंच राज्य के गठन के साथ ही नवीन नए बखेरों और राजनैतिक तथा आर्थिक घोटालों की फ़ेहरिस्त में बना ही रहता है| हालाँकि झारखण्ड के लिए मैनहर्ट घोटाला (Menhart Scam) एक पुरानी बात होती जा रही है और राज्य की जनता इसे लगभग भूल ही चुकी है परन्तु सरयू राय जैसे कुछ जहीन नेता है जो इन विलुप्त होते मामलो को लगातार ज़िंदा करते रहते हैं और और मीडिया के जरिये इसे मौजूदा सरकार और जनता के नजरों में ज़िन्दा रखने का लगातार प्रयास करते हैं, ताकि एकदिन इसका भी न्याय हो सके|
एक बार फिर झारखण्ड में उन्ही के प्रयासों से मैनहर्ट घोटाले का मामला जोर पकड़ रहा है पुनः इस वजह से राज्य में राजनैतिक घमासान उत्पन्न हो चुका है| दरअसल राज्य के जाने माने नेता सरयू राय ने हाल में ही अपने किताब का विमोचन किया है जिसका नाम ही है 'मैनहर्ट नियुक्ति घोटाला लम्हों की खाता'| इस पुस्तक में सरयू राय ने झारखण्ड भाजपा के एक दिग्गज नेता और राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास जिन्हें पली बार झारखण्ड पूर्ण कार्यकाल वर्षों तक मुख्यमंत्री बने रहने का गौरव प्राप्त है के खिलाफ बहुत से गंभीर आरोप लगाया हैं| इतना ही नहीं इस मामले में सरयू राय 2020 में ही रांची में झारखण्ड भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो के डी जी से मुलाकात भी की थी और उनसे मैनहर्ट मामले में परिवाद सौंप जाँच करने का मांग भी किया था| आइये जानते है की आखिर यह मैनहर्ट मामला है क्या और झारखण्ड के पूर्व मुख्यमंत्री रहे रघुबर दास उनके ही कैबिनेट के एक मंत्री सारी राय इस प्रकार आमने सामने की टक्कर में आ गए| आइये समझते हैं इस पुरे मामले को-
'मैनहर्ट घोटाला' (Menhart Scam) आखिर है क्या-
तत्कालीन सरकार ने तो करोड़ो रुपयों का घोटाला कर ही दिया परन्तु निर्दालिये चयनित विधायक सरयू राय ने पिछले विधानसभा चुनाव के दौरान भी मैनहर्ट scam का मुद्दा काफी जोर शोर से उठाया| सरयू राय ने बताया की झारखण्ड के अलग स्वतंत्र राज्य बनाने के बाद कुछ समाजसेवी संस्थाओं ने हाई कोर्ट में एक याचिका दायर किया|इस याचिका में एक अहम सुनवाई करते हुए न्यायालय द्वारा एक महत्वपूर्ण आदेश पारित किया, इसमें प्रदेश की राजधानी रांची में भी सीवरेज ड्रेनेज सिस्टम विकसित करने की बात कही गई थी| न्यायालय द्वारा दिए गए उस आदेश के बाद तत्कालीन नगर विकास मंत्री बच्चा सिंह द्वारा उनके आदेश पर परामर्शी बहल करने के लिए टेंडर निकला गया| जिसमे दो परमर्शियों को चयनित किया गया| इससे पहले की कार्य प्रारंभ होता झारखण्ड में सरकार बदल गई और अर्जुन मुंडा की सरकार में रघुबर दास को नगर विकास मंत्री बनाया गया| उन्होंने DPR पारित करने के 31 अगस्त को एक अहम बैठक का आयोजन किया| इस बैठक में लम्बे बहस के बाद ये फैसला किया कि पूर्व से चयनित दोनों परमर्शियों का हटा दिया जाए| बाद में ये मामला हाई कोर्ट में भी गया|
आक्रामक सरयू राय ने रघुबर दास पर लगाए गंभीर आरोप
सरयू राय ने आरोपों में कहा कि रांची में सीवरेज ड्रेनेज प्रणाली विकसित करने के लिए सिंगापुर की एक कंपनी मैनहर्ट को कंसल्टेंट न्युक्त किया गया| उन्होंने अपने आरोप में कहा इस पुरे कार्य में करोड़ रुपये से भी अधिक की राशि का आवंटन किया गया जो पूरी तरह खर्च हो गया परन्तु धरातल पर एक इंच का भी कार्य नहीं दिखा| इतना ही नहीं तब से लेकर अब तक रांची में सीवरेज ड्रेनेज सिस्टम का काम ज़रा सा भी नहीं हुआ है| सरयू राय के प्रयासों के फलस्वरूप इसके जाँच के लिए पांच सदस्यीय इंजीनियर चीफ की कमेटी भी गठित की गई थी| इस कमेटी के 17 प्रिष्ठिये रिपोर्ट में स्पष्ट तौर पर कहा गया था कि एजेंसी और इसे न्युक्त करने वाले पर कार्यवाई होनी चाहिए| बहरहाल हाल तो यह है की इस रिपोर्ट के आधार पर हाई कोर्ट ने भी दो बार सरकार को नोटिस जारी किया परन्तु मामले में कोई भी करवाई नही हुई| इतने पर सरयू राय ने हार ना मानते हुए एंटी करप्शन ब्यूरो कर डी जी से मुलाकात कर उन्हें भी पात्र सौंपा, इसमें उन्होंने बताया कि रांची शहर के सिवरेज-ड्रेनेज निर्माण का डीपीआर तैयार करने के लिए मैनहर्ट परामर्शी की नियुक्ति में हुई अनियमितता, भ्रष्टाचार और षडयंत्र मामले की सघन जांच जरूरी है।
इसके बाद एसीबी के डी जी से मिल कर उनसे रखे ये माँगें-
जमशेदपुर पूर्वी से विधायक सरयू राय ने खुलासा करते हुए कहा कि मैनहर्ट के नाम से जो टेंडर रांची के सीवरेज-ड्रेनेज का डी.पी.आर. तैयार करने के लिए डाली गयी, वह असली मैनहर्ट सिंगापुर नहीं है, बल्कि इसके लिए भारत में इस नाम की संस्था बनाकर टेंडर डाला गया। इसकी जांच होनी चाहिए। अगर यह सही है तो अत्यंत गंभीर बात है। सरयू राय ने बताया कि परिवाद पत्र पर कानून की प्रासंगिक धाराओं के तहत मामला दर्ज कर आवश्यक कार्रवाई का आग्रह किया गया है। जिससे आरोपियों को बेनकाब किया जा सके और अपने स्वार्थ के लिए राज्यहित और जनहित पर प्रतिकूल प्रभाव डालने वालों को सजा मिल सके।
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