बिहार के अब तक के मुख्यमंत्री सीरिज भाग 6: बिहार के 5वें मुख्यमंत्री महामाया प्रसाद सिन्हा
बिहार के चौथे मुख्यमंत्री श्री के. बी. सहाए के बिहार विधानसभा चुनाव 1967 में हार गए और पहली बार बिहार में गैरी कांग्रेसी सरकार का गठन हुआ और श्री महामाया प्रसाद सिन्हा बिहार के पांचवे मुख्यमंत्री बने| श्री सिन्हा का कार्यकाल मार्च 1967 से जनवरी 1968 तक कुल 330 दिनों का था|
श्री महामाया प्रसाद सिन्हा एक भारतीय राजनेता और बिहार के पांचवें मुख्यमंत्री थे| श्री सिन्हा का जन्म 1909 ई. में एक बड़े ही कुलीन कायस्थ परिवार में बिहार के सिवान जिला में हुआ था| महामाया प्रसाद सिन्हा के पिता का श्री मंगला प्रसाद सिन्हा था| श्री सिन्हा बचपन से कुशाग्र बुद्धि थे| दोस्तों के खेल कूद में ही उनके नेतृत्वा क्षमता को बचपन से ही निखार मिली
महामाया प्रसाद सिन्हा ने अपनी शिक्षा बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय से पूरी की| इन्हें एक समाजसेवी, एक राजनेता और एक एथलीट के साथ साथ बिहार के पांचवे मुख्यमंत्री के रूप में जाना जाता है| श्री सिन्हा आई. सी. एस की परीक्षा में बैठना और उतीर्ण होना चाहते थे परन्तु 1929 में गाँधी जी के आह्वाहन पर इन्होने अपनी जननी जन्मभूमि के प्रति अपना कर्त्तव्य भी समझा और पढ़ाई छोड़ महान राष्ट्रव्यापी सविनय अवज्ञा आन्दोलन में बढ़ चढ़ कर हिस्सा लिया| इन्होने अपने ओजस्वी भाषणों और अद्वितीय नेतृत्वा क्षमता के बलबूते अंग्रेजो को ख़ासा परेशां कर रखा था| नतीजतन ब्रिटिश सरकार ने इन्हें तानाशाह घोषित कर जेल में डाल दिया| जेल में रहने के दौरान उन्हें एक हीट स्ट्रोक आया और वे अपनी आवाज खो बैठे| हालाँकि इसके बाद भी वे लम्बे समय तक ए.आई.सी.सी. के सदस्या बने रहे|
1930 का समय आते आते श्री महामाया प्रसाद बिहार में एक राजनैतिक नेता के प्रमुखता हासिल कर चुके थे| उन्होंने जिला कमिटी कांग्रेस के अद्याक्ष के रूप में भी किया और जब आजाद भारत में राज्यों का गठन हो गया तब श्री सिन्हा बिहार की भूमि पर एक राज्य्स्तारिये राजनेता के रूप में सक्रिय हो गयें|
श्री सिन्हा 1967 में जन क्रांति दल के नेता के रूप में सर्वसम्मति से बिहार के मुख्यमंत्री बने परन्तु इनका कार्यकाल 1 वर्ष से भी कम मात्र 330 दिनों का ही रहा| बड़े ही थोड़े से समय के कार्यकाल के बावजूद श्री सिन्हा ने बिहार के शैक्षिक व्यवस्था में एक बड़ा सुधर किया और अंग्रेजी की शिक्षा को अनिवार्य बनाया गया| तत्कालीन राज्य शिक्षा मंत्री श्री कर्पूरी ठाकुर ने एक नइ शिक्षा निति को लागु किया जो आज भी कहीं ना कहीं हमारी शिक्षा पर अपना प्रभाव जमाये बैठा है|
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