बिहार के अबतक के मुख्यमंत्री सीरिज: भाग 4, बिहार के तीसरे मुख्यमंत्री बिनोदनद झा
दीप नारायण सिंह के हटने के बाद बिहार के मुख्यमंत्री पद को शुशोभित करने के लिए श्री बिनिदानंद झा आये| इन्हें पंडित बिनिदानंद झा के नाम से भी जाना जाता है, श्री झा भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के नेता थे| वे मूलतः झारखण्ड के देवघर जिले से थे और उन्होंने वहीँ से अपनी राजनीती भी चमकाई| श्री झा फरवरी 1961 से ओक्टुबर 1963 तक बिहार के मुख्यमंत्री पद की शोभा बढ़ाते रहे|
बिनोदानंद झा का जन्म तत्कालीन बिहार के देवघर जिले के संथाल परगना में स्वर्गीय श्री सच्चिदानंद झा के घर 17 अप्रैल 1900 में हुआ था| उन्होंने अपनी प्राथमिक शिक्षा देवघर में ही ग्रहण किया, बाद में उन्होंने छात्रवृति पा कर सेंट्रल कालेज कोलकाता में शिक्षा प्राप्त किया| श्री झा की शादी 1932 में श्रीमती प्रमिला झा से हुई और कालक्रम में उन्हें दो संताने हुईं| पेशे से वे एक कल्टीवेटर के साथ साथ समाज सेवी भी थे| श्री झा अपने विद्यार्थी जीवन से ही गाँधी जी और अनुग्रह बाबु जैसे विचारको से प्रभावित थे, वे सदा राष्ट्र और समाज के हितार्थ अपने सहपाठियों से बात किया करते थे| श्री झा एक उत्तम कोटि के वक्ता भी थे, उन्होंने संथाल परगना के आदिवासियों, दलितों और गरीबो के उत्थान के लिए लड़ाई लड़ना कभी भी बंद नहीं किया|
श्री बिनोदानंद झा ने एक सदस्य के तौर पर देवघर नगरपालिका में 1924 से 1927 तक काम किया, उन्होंने बिहार के संसदिये सचिव के तौर पर 1936 से 1938 तक अपनी सेवा व योगदान दिया| वे स्थानीय स्वशासन, चिकित्सा, श्रम और राजस्व मंत्री के रूप में 1946 में मंत्रिमंडल में सामिल हुए| उन्हें संविधान सभा के सदस्य के रूप में 6 जुलाई 1946 को नामित किया गया जहाँ पर वे अपनी सेवा 24 जनवरी 1950 तक देते रहें| संविधान सभा के सदस्य के तौर पर उन्होंने अपना सम्पूर्ण ध्यान आदिवासियों, अल्प्सख्य्को और गरीबो के लिए बहुमूल्य काम किया| वे सदा आदिवासियों को उनका हक दिलाने के लिए लड़ते रहें|
श्री विनोदानंद झा को पंचायती राज का संस्थापक भी कहा जता है, उन्होंने ही 1950 में त्रिस्तारिये पंचायतीराज को लेकर दश की पहली संस्था बिहार राज्य पंचायत परिषद् की स्थापना की थी| पुनः उन्होंने इसके बाद १९५8 में अखिल भारतीय पंचायत परिषद् का गठन किया, जिसके संस्थापक अध्यक्ष बलवंत राय मेहता थे इस संस्था ने पंचायती राज को संवैधानिक अधिकार दिलाने का पुरजोर प्रयास किया|
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